हनुमान जी की आरती, एक पवित्र स्तुति, भगवान हनुमान के भक्तों के हृदय में गहरा स्थान रखती है। यह आरती न केवल भगवान हनुमान के प्रति हमारी श्रद्धा का प्रकटीकरण है, बल्कि यह हमें उनकी शक्ति, भक्ति और करुणा का भी स्मरण कराती है। हनुमान जी, जिन्हें बजरंगबली के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति में साहस, शक्ति और भक्ति के प्रतीक हैं। उनकी आरती का पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। इस लेख में, हम हनुमान जी की आरती के प्रत्येक शब्द को समझेंगे और उसके महत्व को जानेंगे।
हनुमान जी की आरती
आरती की शुरुआत
आरती की शुरुआत भगवान हनुमान के गुणों का वर्णन करती है। यह हमें बताती है कि वे कितने शक्तिशाली और दयालु हैं। जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर - इन पंक्तियों का अर्थ है कि हनुमान जी ज्ञान और गुणों के सागर हैं, और वे तीनों लोकों में प्रसिद्ध हैं। यह हमें उनकी महानता का अनुभव कराता है और हमें उनसे जुड़ने के लिए प्रेरित करता है। आरती के पहले भाग में, हम भगवान हनुमान की महिमा का गुणगान करते हैं और उनके दिव्य स्वरूप का ध्यान करते हैं। यह स्तुति हमें उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए तैयार करती है।
भगवान हनुमान की शक्ति का वर्णन
आरती में भगवान हनुमान की शक्ति का वर्णन किया गया है, जो हमें उनकी असीम क्षमताओं का अनुभव कराता है। राम दूत अतुलित बल धामा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा - इन पंक्तियों का अर्थ है कि वे भगवान राम के दूत हैं, अतुलनीय बल के धाम हैं, और अंजनी के पुत्र और पवन के पुत्र के नाम से जाने जाते हैं। यह हमें उनकी शक्ति और भक्ति की गहराई का अनुभव कराता है। महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी - इन पंक्तियों में, हनुमान जी को महावीर और बजरंगी कहा गया है, जो बुरी बुद्धि को दूर करते हैं और अच्छी बुद्धि के साथ रहते हैं। यह हमें उनकी सुरक्षा और मार्गदर्शन का आश्वासन देता है।
भगवान राम के प्रति भक्ति
हनुमान जी की भक्ति भगवान राम के प्रति अद्वितीय है। कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुंडल कुंचित केसा - इन पंक्तियों का अर्थ है कि उनका रंग सोने जैसा है, वे सुंदर वस्त्रों में सुशोभित हैं, और उनके कानों में कुंडल और घुंघराले बाल हैं। यह हमें उनके सुंदर स्वरूप का दर्शन कराता है और हमें उनसे प्रेम करने के लिए प्रेरित करता है। हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजे - इन पंक्तियों में, उनके हाथों में वज्र और ध्वजा है, और उनके कंधे पर मूंज का जनेऊ है। यह हमें उनकी शक्ति और पवित्रता का अनुभव कराता है। भगवान राम के प्रति उनकी अनन्य भक्ति हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति क्या होती है और हमें अपने आराध्य के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा देती है।
आरती का महत्व
हनुमान जी की आरती का पाठ करना हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन - इन पंक्तियों का अर्थ है कि वे शंकर के अवतार, केसरी के पुत्र, और महान तेज और प्रताप वाले हैं, जिनकी पूरी दुनिया वंदना करती है। यह हमें उनकी महानता का स्मरण कराता है और हमें उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। विद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर - इन पंक्तियों में, उन्हें विद्यावान, गुणी और चतुर कहा गया है, जो हमेशा राम के कार्य करने के लिए उत्सुक रहते हैं। यह हमें उनकी कर्मठता और समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत करता है। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया - इन पंक्तियों का अर्थ है कि वे प्रभु के चरित्र सुनने में आनंद लेते हैं, और राम, लक्ष्मण और सीता उनके मन में बसे हुए हैं। यह हमें उनकी भक्ति और प्रेम का अनुभव कराता है।
आरती का अंतिम भाग
आरती का अंतिम भाग भगवान हनुमान से प्रार्थना और आशीर्वाद की कामना के साथ समाप्त होता है। सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा - इन पंक्तियों का अर्थ है कि उन्होंने सूक्ष्म रूप धारण करके सीता को दर्शन दिए, और विशाल रूप धारण करके लंका को जला दिया। यह हमें उनकी अद्भुत शक्ति और क्षमताओं का परिचय कराता है। भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्रजी के काज संवारे - इन पंक्तियों में, उन्होंने भीम रूप धारण करके राक्षसों का संहार किया, और रामचंद्रजी के कार्यों को पूरा किया। यह हमें उनकी वीरता और पराक्रम का अनुभव कराता है। लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये - इन पंक्तियों का अर्थ है कि वे संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण को जीवित करते हैं, और श्री रघुवीर उन्हें खुशी से हृदय से लगाते हैं। यह हमें उनकी करुणा और सेवाभाव का दर्शन कराता है।
हनुमान चालीसा का महत्व
हनुमान चालीसा का पाठ करना भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। रघुपति किन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई - इन पंक्तियों का अर्थ है कि रघुपति ने उनकी बहुत प्रशंसा की, और कहा कि तुम मेरे प्रिय भरत के समान भाई हो। यह हमें उनकी महिमा और महत्व का अनुभव कराता है। सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं - इन पंक्तियों में, कहा गया है कि हजारों मुख से भी तुम्हारा यश गाया जाता है, ऐसा कहकर श्रीपति उन्हें कंठ से लगाते हैं। यह हमें उनकी महानता और प्रेम का अनुभव कराता है। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद सारद सहित अहीसा - इन पंक्तियों का अर्थ है कि सनकादिक, ब्रह्मादि मुनि, नारद, शारद और सभी देवता उनकी वंदना करते हैं। यह हमें उनकी सर्वव्यापकता और महत्व का ज्ञान कराता है।
आरती का समापन
आरती का समापन भगवान हनुमान से आशीर्वाद की प्रार्थना के साथ होता है। जम कुबेर दिगपाल जहां ते, कवि कोविद कहि सके कहां ते - इन पंक्तियों का अर्थ है कि यम, कुबेर और सभी दिक्पाल भी उनकी महिमा का वर्णन नहीं कर सकते। यह हमें उनकी असीम शक्ति और क्षमताओं का अनुभव कराता है। तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा, राम मिलाय राज पद दीन्हा - इन पंक्तियों में, कहा गया है कि उन्होंने सुग्रीव पर उपकार किया, और राम से मिलाकर उन्हें राज्य पद दिलाया। यह हमें उनकी मित्रता और करुणा का उदाहरण प्रस्तुत करता है। तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेश्वर भये सब जग जाना - इन पंक्तियों का अर्थ है कि विभीषण ने उनके मंत्र को माना, और लंकेश्वर बने, यह सब जग जानता है। यह हमें उनकी शक्ति और प्रभाव का अनुभव कराता है।
हनुमान जी की आरती का फल
हनुमान जी की आरती का पाठ करने से भक्तों को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। युग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू - इन पंक्तियों का अर्थ है कि उन्होंने युग सहस्त्र योजन दूर स्थित सूर्य को भी मीठा फल समझकर निगल लिया। यह हमें उनकी अद्भुत शक्ति और साहस का परिचय कराता है। प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं - इन पंक्तियों में, कहा गया है कि उन्होंने प्रभु की मुद्रिका को मुख में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। यह हमें उनकी भक्ति और समर्पण का अनुभव कराता है। दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते - इन पंक्तियों का अर्थ है कि दुनिया के जितने भी कठिन कार्य हैं, वे सब उनकी कृपा से सरल हो जाते हैं। यह हमें उनकी सहायता और आशीर्वाद का आश्वासन देता है।
आरती का अंतिम संदेश
हनुमान जी की आरती हमें साहस, भक्ति और करुणा का संदेश देती है। राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे - इन पंक्तियों का अर्थ है कि वे राम के द्वार के रखवाले हैं, और उनकी आज्ञा के बिना कोई प्रवेश नहीं कर सकता। यह हमें उनकी निष्ठा और समर्पण का अनुभव कराता है। सब सुख लहहिं तुम्हारी सरना, तुम रखवार काहू को डरना - इन पंक्तियों में, कहा गया है कि जो तुम्हारी शरण में आते हैं, उन्हें सब सुख मिलते हैं, और तुम्हें रक्षक पाकर किसी को डरने की आवश्यकता नहीं है। यह हमें उनकी सुरक्षा और आशीर्वाद का आश्वासन देता है। आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक तें कांपै - इन पंक्तियों का अर्थ है कि वे अपने तेज को स्वयं ही संभालते हैं, और उनकी हांके से तीनों लोक कांपते हैं। यह हमें उनकी महानता और शक्ति का अनुभव कराता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, हनुमान जी की आरती एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शक्तिशाली स्तुति है। इसका पाठ करने से हमें मानसिक शांति, शक्ति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै - इन पंक्तियों का अर्थ है कि भूत और पिशाच निकट नहीं आते, जब महावीर का नाम सुनाया जाता है। यह हमें उनकी सुरक्षा और रक्षा का अनुभव कराता है। नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा - इन पंक्तियों में, कहा गया है कि निरंतर हनुमान वीर का नाम जपने से रोग नष्ट होते हैं और सब पीड़ा दूर होती है। यह हमें उनके स्वास्थ्य और कल्याण के आशीर्वाद का अनुभव कराता है। सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा - इन पंक्तियों का अर्थ है कि राम तपस्वी राजा हैं, और उनके सभी कार्यों को तुमने ही पूरा किया है। यह हमें उनकी सेवा और समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत करता है। इसलिए, हमें नियमित रूप से हनुमान जी की आरती का पाठ करना चाहिए और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। और मनोरथ जो कोई लावै, सोई अमित जीवन फल पावै - इन पंक्तियों में, कहा गया है कि जो कोई भी मनोकामना लेकर आता है, वह अमित जीवन का फल पाता है। यह हमें उनकी कृपा और आशीर्वाद का आश्वासन देता है। जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरुदेव की नाईं - इन पंक्तियों का अर्थ है कि जय जय जय हनुमान गोसाईं, गुरुदेव की तरह कृपा करो। यह हमें उनकी वंदना और आशीर्वाद की प्रार्थना का अनुभव कराता है। जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई - इन पंक्तियों में, कहा गया है कि जो कोई भी सौ बार पाठ करता है, वह बंधन से छूट जाता है और महा सुख प्राप्त करता है। यह हमें उनकी शक्ति और आशीर्वाद का अनुभव कराता है। जो यह पढ़े हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा - इन पंक्तियों का अर्थ है कि जो यह हनुमान चालीसा पढ़ता है, उसे सिद्धि प्राप्त होती है, गौरीसा साक्षी हैं। यह हमें उनकी महिमा और महत्व का अनुभव कराता है। तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मंह डेरा - इन पंक्तियों में, तुलसीदास कहते हैं कि वे सदा हरि के दास हैं, और नाथ से हृदय में निवास करने की प्रार्थना करते हैं। यह हमें उनकी भक्ति और समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत करता है। पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप - इन पंक्तियों का अर्थ है कि हे पवन पुत्र, संकट हरने वाले, मंगल मूर्ति रूप, राम, लक्ष्मण और सीता सहित, हृदय में निवास करो। यह हमें उनकी वंदना और आशीर्वाद की प्रार्थना का अनुभव कराता है।
यह हनुमान जी की आरती का संपूर्ण पाठ है, जो हमें उनके दिव्य गुणों और शक्तियों का स्मरण कराता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। जय हनुमान!
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